पैगंबर अय्यूब (अस.) अल्लाह (ﷺ) और उनके पैगंबर (ﷺ) के एक धर्मी सेवक थे। सब्र और दृढ़ता की मिसाल होने के नाते, उनकी कहानी दुनिया भर के मुसलमानों द्वारा उन लोगों को आराम देने के लिये सुनाई जाती है, जो परेशान और पीड़ित हैं।
वह अल्लाह (ﷺ) के महान पैगंबरों में से एक थे, जिनके बीच अल्लाह (ﷻ) ने अपना रहस्योद्घाटन किया और ख़ुद से सच्चाई को प्रेरित किया। क़ुरान दो बार अय्यूब (अस.) की कहानी को संदर्भित करता है – सूरह “अल-अनबिया” और सूरह “साद” में।
पैगंबर अय्यूब (अस.) के परीक्षण
सूरह अल-अनबिया पैगंबर अय्यूब (अस.) की कहानी के सिर और विवरण को प्रकट करती है। इसलिए, पवित्र क़ुरान की आयतों का धन्यवाद, जिसके द्वारा उनके साथ जो हुआ हम उसकी पूरी तस्वीर फिर से बना सकते हैं।
अपनी कहानी की शुरुआत में, पैगंबर अय्यूब (अस.) अमीर थे, लेकिन बाद में उन्होंने अपना धन खो दिया। वह स्वस्थ थे, लेकिन इसके बाद वह बीमार हो गए। एक बड़े परिवार के साथ शांति से रहने वाले, अय्यूब (अस.) ने इसे रातों-रात खो दिया। लेकिन वह अल्लाह (ﷻ) से शिकायत किए बिना सब्र करते रहें। वह अल्लाह की इच्छा के बारे में शिकायत नहीं करते थें, जो उसने उनके लिए निर्धारित किया था। उनका धैर्य उत्कृष्ट था, भले ही उनका परीक्षण कई वर्षों तक चला।
नतीजतन, वे सभी जो पहले उनके पास रहते थें, उनके बुरे समय में उनका साथ छोड़ गए। उन्होंने अपने क़रीबी और दूर के दोस्तों को खो दिया, उनके रिश्तेदार हृदयहीन हो गए। और केवल अय्यूब (अस.) की पत्नी और उनके दो सबसे वफ़ादार दोस्त उसके पास रह गए। उनके मित्र नियमित रूप से उनके पास जाते थे, उनके दुःख में उनका साथ देने की कोशिश करते थे।
उन्होंने अपनी परीक्षाओं को धैर्यपूर्वक सहा और जितनी भी देर तक चलीं, तनिक भी कमज़ोर नहीं हुए। नतीजतन, उनके धैर्य और अल्लाह (ﷻ) की इच्छा पर खरे उतरने के लिए एक इनाम के रूप में, उन्हें अल्लाह (ﷻ) से आराम और उद्धार मिला, क्योंकि उन्होंने केवल अल्लाह (ﷻ) से प्रार्थना करके उससे मदद मांगी। उनकी प्रार्थनाओं के ज़वाब में, सर्वशक्तिमान (ﷻ) ने उनके बच्चों और उनकी संपत्ति को वापस कर दिया, परिवार में शांति क़ायम हो गई, और उनका शरीर ठीक हो गया। पैगंबर अय्यूब (अस.) की कहानी एक दृष्टांत बन गई है। दुनिया भर में लोग इसे एक-दूसरे को सुनाते हैं और अल्लाह (ﷻ) के पैगंबर (अस.) को धैर्यवान के नेता कहते हैं।
अय्यूब (अस.) की बीमारी
धैर्य क्या है? ऐसा मत सोचें कि “सहने” का अर्थ है बेकार बैठना और कुछ न करना और आशा करना कि एक दिन ये समस्याएं अपने आप हल हो जाएंगी। बिल्कुल नहीं! वास्तव में, एक आस्तिक हमेशा अल्लाह, सर्वोच्च (ﷻ) पर भरोसा करता है, और फिर अपनी समस्याओं को हल करने के तरीकों की तलाश करता है। अल्लाह (ﷻ) हमें मज़बूत बनाने के लिए इस तरह के परीक्षण प्रदान करता है, और आस्तिक कभी भी निराश नहीं होते जब ये परीक्षण उनके पास आते हैं। अवसरों की तलाश के लिए वह हमेशा अल्लाह (ﷻ) पर निर्भर रहते हैं। उदाहरण के लिए, यदि वह बीमार हो जाते हैं, तो वह इलाज़ की तलाश में रहते हैं। यदि उनके पास धन समाप्त हो जाता है, तो विश्वासी निश्चित रूप से इसे अर्जित करने के अवसरों की तलाश में रहते हैं। सर्वशक्तिमान (ﷻ) पर भरोसा करते हुए, एक व्यक्ति उस स्थिति से बाहर निकलने का सबसे अच्छा तरीक़ा खोजता है जिसमें अल्लाह (ﷻ) ने उसे रखा था।
अय्यूब (अस.) ने जल्द ही अपना सब कुछ खो दिया। पैसे तो मुश्किल से खाने और कपड़े के लिए ही पड़ रहे थे। लेकिन जब अय्यूब (अस.) ने यह देखा तो वह शांत थे, जैसे कि वह अनुग्रह से भरे हुए थे, उन्होंने केवल अल्लाह (ﷻ) का शुक्रिया अदा किया और नमाज़ अदा की। लेकिन बीमारियों ने अल्लाह के पैगंबर अय्यूब (अस.) के बच्चों पर हमला किया। एक-एक करके उनका निधन हो गया। कभी बच्चों की हँसी और ख़ुशी से भरा घर एक मृत सन्नाटे में डूब गया। लेकिन अय्यूब (अस.) के जी़वन में चाहे कुछ भी हो जाए, वह तब भी अल्लाह (ﷻ) की प्रशंसा करते रहते थें। वह अभी भी अल्लाह (ﷻ) के एक उदार और विश्वसनीय पैगंबर थे। हालाँकि उन्हें बच्चों और संपत्ति का भारी नुक़सान हुआ, फिर भी वे दूसरों की परेशानियों के प्रति तटस्थ नहीं हुए थें।
बहुत से लोग पैगंबर अय्यूब (अस.) से बचने लगे। उन्होंने सोचा कि अल्लाह (ﷻ) ने अय्यूब (अस.) को श्राप दिया है और इसलिए वह उन पर दुख और अभाव भेज रहा है। हालांकि, महान और धैर्यवान अय्यूब (अस.) जानते थे कि सभी परीक्षण केवल अस्थायी थे और अल्लाह (ﷻ) एक आस्तिक पर कभी भी वह कठिनाइयों को नहीं भेजेगा जो वह सहन नहीं कर सके। अय्यूब (अस.) ने अपने दिन और रात अल्लाह (ﷻ) की प्रशंसा करते हुए और पहले की तरह, केवल उसकी दया पर भरोसा करते हुए बिताए। दो भाइयों को छोड़कर सभी रिश्तेदारों ने अय्यूब (अस.) को छोड़ दिया।
अय्यूब (अस.) की चिकित्सा
तथा अय्यूब (की उस स्थिति) को (याद करो), जब उसने पुकारा अपने पालनहार को कि मुझे रोग लग गया है और तू सबसे अधिक दयावान् है।
(क़ुरान, 21:83)
अय्यूब (अस.) एक प्रार्थना के साथ अल्लाह (ﷻ) की ओर मुड़े, जिसमें उन्होंने उस दुर्भाग्य से मुक्ति मांगी जो उन पर आ पड़ी थी और फिर अल्लाह (ﷻ) ने उनकी प्रार्थना का ज़वाब दिया और उन्हें उन मुसीबतों से छुटकारा दिलाया जो उन पर भेजी गईं थीं।
अय्यूब (अस.) को इलाज़ के बारे में तब पता चला जब वह अपने गांव के बाहर शौच करने गए। लेकिन वह इतने कमज़ोर थे कि वह मुश्किल से चल पाते थे, और इसलिए उनकी पत्नी हमेशा उनका हाथ पकड़कर उनका साथ देती थीं और केवल एक निश्चित स्थान पर ही उनकी पत्नी उन्हें छोड़ती थी, और वह अपने आप चले जाते थें। जिस दिन अल्लाह (ﷻ) ने अय्यूब (अस.) की प्रार्थना का उत्तर दिया, पैगंबर पहले से कहीं अधिक समय तक रुके रहे। और फिर अल्लाह (ﷻ) ने उन्हें अपने कमज़ोर पैर से पृथ्वी पर वार करने की आज्ञा दी, और जब उन्होंने ऐसा किया, तो उस जगह से पृथ्वी में एक झरना बहने लगा और फिर परमप्रधान अल्लाह (ﷻ) ने पैगंबर अय्यूब (अस.) को इस पानी को पीने और इसमें स्नान करने का आदेश दिया। तब इस जल से उनके सारे बाहरी और भीतरी रोग दूर हो गए। उनकी जोश और ताक़त उनके पास लौट आई।
उनकी पत्नी यह देखकर हैरान रह गईं कि वह उनके पास कैसे लौटें। वह मज़बूत और स्वच्छ थें और पहले तो उनकी पत्नी ने उन्हें पहचाना भी नहीं, और उनका ध्यान केवल अपने पति के प्रति स्पष्ट समानता ने खींचा और अल्लाह (ﷻ) ने केवल उनका स्वास्थ्य ही नहीं बहाल किया, बल्कि उनके धन और बच्चों को भी पैगंबर अय्यूब (अस.) के पास लौटा दिया। दो बादल थे, हालांकि इन बादलों में पानी नहीं, बल्कि चांदी और सोना था और ऐसा चमत्कार दुनिया में आज़ तक किसी ने नहीं देखा। एक बादल ने अपना पानी खलिहान में प्रवाहित किया, जो गेहूं के लिए था, और दूसरे बादल ने अपने पानी को उस खलिहान में प्रवाहित किया, जो जौ के लिए था, और दो मंज़िल चांदी और सोने से ऊपर तक भर गए थे।
निष्कर्ष
पैगंबर अय्यूब (अस.) के बारे में हदीस से हम कई सबक़ और फ़ायदे सीख सकते हैं। पैगंबर अय्यूब (अस.) का जी़वन सिखाता है कि अपने दिल में अल्लाह (ﷻ) पर ईमान रखना, जो कि अडिग हो, महत्वपूर्ण है। धैर्य को इस दुनिया में और भविष्य की दुनिया में अच्छे के साथ पुरस्कृत किया जाएगा।
अय्यूब (अस.) का जी़वन हमें उनकी समर्पित पत्नी और दोस्त, जिन्होंने उन्हें बीमारी में नहीं छोड़ा, उनसे मिलने गए, के उदाहरण से भी दिखाता है कि लोग परीक्षणों और कठिनाइयों में सीखते हैं और सच्चे वफ़ादार दोस्त ज़्यादा तो नहीं हैं, लेकिन दुनिया के कोने-कोने में सबके लिए ज़रूर मिल जाएँगे।
संदर्भ
- अय्यूब – इस्लामिक हाउस ऑफ विजडम
- पैगंबर अय्यूब की कहानी – इस्लामिक स्टोरीज डॉट कॉम